सत्ता किसकी है इस बार, ये बात तो बहुत ही मनोरंजक प्रतीत होती है,
आज की इस खास चर्चा में हम बात करते है केसा रहेगा चुनावी रंग इस बार के चुनावी खेल में? कौन देगा किसको कांटे की टक्कर? देखते है -
क्या इस बार भी सभी पार्टी की लोग प्रधानमंत्री बनने के लिए रेस में हिस्सा लेंगे? और हमेशा की तरह लुभावने वादे करके और झूठे सपने दिखा के लोगो को ठगेंगे?
मोदी बनाम प्रियंका गाँधी
आज की इस खास चर्चा में हम बात करते है केसा रहेगा चुनावी रंग इस बार के चुनावी खेल में? कौन देगा किसको कांटे की टक्कर? देखते है -
क्या इस बार भी सभी पार्टी की लोग प्रधानमंत्री बनने के लिए रेस में हिस्सा लेंगे? और हमेशा की तरह लुभावने वादे करके और झूठे सपने दिखा के लोगो को ठगेंगे?
यदि बात करे इस चुनावी रैली की तो इसमें इस बार मोदी जी और उनको सीधे टक्कर देने जा रही है सोनिआ गांधी की बेटी प्रियंका गाँधी।
हलाकि उनको राजनीति की इतनी समज़ तो नहीं लेकिन इस बार कही न कही लोग ये जरूर समझने लगे है कि राहुल गाँधी को अगर देश का अगर प्रधान का दावेदार न बनाया जाये बल्कि प्रियंका को बनाना चाहिए।
मोदी बनाम प्रियंका गाँधी
क्या ये मान लेना ठीक होगा कि मोदी की जगह प्रियंका को मिलनी चाहिए?
लोग इस बार मोदी जी को तो शायद भारत का प्रधानमंत्री बनाना नहीं चाहते, वजह ये है कि रोजगार
आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया, ये कहावत तो सभी ने सुनी होगी? और हर कोई इस मुहावरे से जुज़्ह रहा है।
क्या है आपकी राय? क्या इस बात से सहमत है?
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